नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

शीर्षक-- लब्ज़ों की हकीकत

लब्जों का दिल से रिश्ता
लब्ज़ दिल गहराई जज्बात है।।
लब्ज़ दिल परछाई चेहरा
लब्जों से बनते विगड़ते जिंदगी का
राज है।।                                       

ये लब्ज़ आईने है इंसानी हद हस्ती
लब्ज दिल की सच्चाई बया हाल है।।
लब्ज़ इंसानी हद हकीकत दासता वास्ता ये लब्ज़ आईने है इंसान इंसानियत पहचान है।।
लब्ज़ दिल जज्बे का तूफ़ान
दोस्त दुश्मन की शान आन
ये लब्ज़ आईने है आबरू बेआबरू बताते बनाते है।।
लब्ज़ विखरे दिल को भी 
जोड़ मोहब्बत के दामन
समेटता ये लब्ज़ आईंने है
दिल आईने का सेहरे है।।
लब्ज़ों से सजते जंग के मैदान
दोस्त दुश्मन ,दुश्मन दोस्त अंदाज़
मोहब्बत महफिलो कि रौशनी है।।
ये लब्ज़ आइने है जिंदगी की
चाहत की राह दिखाते इश्क इबादत की ईमान है।।
असली नकली का फर्क 
लब्ज़ों की दुनियां का यक़ी
सच ये लब्ज़ आईने है आवाज़
दिल मे उतरते है।।
लब्ज़ों की दुनियां ही दिन
ईमान कुदरत की शान
ये लब्ज़ आईने है दिख
जाता जिसमें दुनियां जहाँ है।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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