प्रेम के चेहरे कई हैं - मधु शंखधर स्वतंत्र

गीत
प्रेम के चेहरे कई हैं...
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प्रेम के चेहरे कई हैं, भाव पर सबके वही हैं।
प्रेम दिल की भावना है, प्रेम बस होता सही है।।

प्रेम माँ का है अनोखा, जन्म देकर वह लुटाती।
दे नया अस्तित्व माता, खुद का सुख दुख सब भुलाती ।
प्रेम उसका प्राप्त होता, तब तलक जब तक मही है।
प्रेम के चेहरे कई.............।।

प्रेम होता है पिता का, भाव जो खुद में समाता।
सब लुटा देता है पर वो, शब्द से कुछ कब जताता।
श्रेष्ठ होता प्रेम उनका, भावना सच्ची रही है।
प्रेम के चेहरे कई हैं............।।

प्रेम बहना भाई का भी, एक अनुपम भावना सा।
एक दूजे की सुरक्षा, मानते वह साधना सा।
प्रेम आशा से बँधा है , प्राप्ति की बस चाह नहीं है।
प्रेम के चेहरे कई हैं................।।

प्रेम प्रेमी प्रेमिका का, वास्तविक अहसास है।
सत्य जिसके मूल बसता, ईश को भी रास है।
यह कहानी प्रेम की, सुनते सभी सबने कही है।
प्रेम के चेहरे कई ................।।

प्रेम से बनता है बंधन, एक नए विश्वास का।
जिन्दगी की चाह का, रिश्तों के सुंदर वास का।
प्रेम ही जीवन की माया, मूल में सदियों रही है।।
प्रेम के चेहरे कई हैं...........।।

मधु शंखधर स्वतंत्र
प्रयागराज ✒️

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