"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
पावन मंच को प्रणाम, धनवन्तरि शतक भाग दो के आगे के भाग का अवलोकन करें****""*******""*"पेटनु रोगु अनेक भरे जेहिमा कछू कै हम नामु गनाई!! आध्मान अपच या कही अफरा मचली या डकार का काव बताई!! गैसु खुलै तौ लगै असकिनु मानौ मध्य सभानु मा आफत आई!! भाखत चंचल उलटी कही या कही जौनु पेचिस धाय जो आई!! 1!! भगन्दरु अर्श कही हौं जाकौ केहू केहु जे बवासीर कहाई!! आंव गिरै चाहै होय सफेद या रक्तम रक्त जे ढेरु लगाई!! लीवर याकि खराब कही याकि गोला जे वायु कै नाव कमाई!! भाखत चंचल और बहूत जो राज अपरू मंहय दुजो कहाई!! 2!! अर्क कही तुलसी पंचामृत जाहि रसायन वैद्य बताई!! एक्ट कही हौं गैस बदे जे कैप्सूलनु आवतु सांई!! सीरपु स्मृति लैफु कही याकि जौनु सी आई डी नामु गनाई!! भाखत चंचल एक्ट आक्सीडेन्ट या लाइव सीरपु नाव गनाई!! 3!! कैप्सूलहु पाइल्स एक्ट कही याकि पाउडर हू लै आवहु भाई!! सीरप लिवो लिन ही गनी अरू पथ्यनु ध्यानु ते खावहु सांई!! पथ्य परहेज करौ कछू दिवसु औ टेबलेट त्रिफला को साथहू लाई!! भाखत चंचल जोरू कहौं तबु उत्तिमु सेहतु पावहु सांई!! 4!! नारी कही जे तौ आधी अबादी विशेषनु पार्टी जेशासनु आंई!! रोगु मा नैकहूं आई कमी एहि कारनु आजु हौं रोगु गनाई!! मासिक होय अनियमित याकी या पानी सफेद या लाल गनाई!! भाखत चंचल गोद भरी नहि झंखत सूनी जे ताहि जनाई!! 5!! आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल, ओमनगर सुलतानपुर उलरा चन्दौकी अमेठी उत्तर प्रदेश मोबाइल फोन::::::8853521398, 9125519009!!
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