मधु शंखधर स्वतंत्र

*गीत*
*2122  2122*
*माँ बनी तू आज छाया*
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माँ बनी तू आज छाया,
वृक्ष के सम छाँव धरती।
सद्गुणों की खान बनकर,
मातु जीवन धन्य करती।।

ताप जीवन का तपाता 
बन धरा कुंदन चमकती।
स्वर्ण आभा से सुशोभित,
भावनाओं में बिहसती।
माँ अधर पर नाम तेरा,
तू ह्रदय में भाव धरती।
माँ बनी तू आज छाया..........।।

माँ धरा पर एक तू ही,
पुष्प जैसे ही महकती।
पायलों सी चूड़ियों सी,
शब्द बनकर तू खनकती।
तू सदा  परछाइयों सी,
हर कदम पर साथ चलती।
माँ बनी तू आज छाया.....।।

एक आशा साथ आई
ईश ने धरती  बनायी।
कौन देगा अब सहारा,
मातु की मूरत बनाई।
जान फूँकी तब समझ ये,
मात छाया है कुदरती।
माँ बनी तू आज छाया....।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*✒️

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