नूतन लाल साहू

उल्टा.पुल्टा

राम कृष्ण की इस धरती में
बिना मोल तीनों बिंकै
भूख, गरीबी व फूट
जिसमें जितना सामर्थ्य है
लूट सकें तो लूट
चोरों व घूसखोरों पर
नोट बरसता है,हर रोज
ईमान के मुसाफिर
राशन को तरसता है
दिन.दिन बढ़ता जा रहा है
काले धन का जोर
लेकर कर्ज भारी
काम चल रहा है,सरकारी
जिसमें इलजाम है हजारों
उनकी हो रही है,आरती
अच्छा है कि,आप चुप रहिए
हिंदी के भक्त है,हम
जनता को यह जताते है
लेकिन अपने सुपुत्र को
कांवेंट में पढ़ाते है
फिल्मों पे फ़िदा है लड़के
फैंशन में फ़िदा है लड़की
सदाचरण में है,जीरो
किंतु खुद को,हीरो से नापता है
अच्छा है कि आप चुप रहिए
अंग्रेज कर गए,अपना काम
सत्ता की खुमारी में
आजादी सो रही है
जो कल तक थे
माता पिता गुरु के पूजारी
वो अब जुल्म ढा रहे है
स्वतंत्रता की मधु बेला में
अपना आपा भूल गए है
अच्छा है कि आप चुप रहिए

नूतन लाल साहू

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