रामबाबू शर्मा

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                     कविता
*नवोदित साहित्यकार का जीवन व संघर्ष*
     
   जीवन नैया में सब की अलग कहानी है,
   पग-पग पर खतरा,हिम्मत नहीं हारी है।
   मन से कर मेहनत,उसी से ईश्वर राजी है,
   बिना काम वालों ने यहां, बाजी मारी है।।

   नवोदित साहित्यकार का रूप निराला,
   सुन्दर-सुन्दर शब्दों का वो है मतवाला।
   मात शारदे की मन से पूजा करने वाला,
   स्वर संधान की वो कलम चलाने वाला।।

   छोटा सा पर मन से बहुत बड़ा ज्ञानी है,
   दिन भर लिखता,पर ये किसने मानी है।
   एक दूसरे से बातें करता किसे सुनानी है,
   ऐसा भी होता,कविता किसने जानी है।।

   घर का काम बीच-बीच में आता रहता,
   तार तमय टूट कर वहीं आके ठहरता।
   लग्न लगी ऐसी बात-बात पर झगड़ता,
   पता होता तो,चक्कर में कभी न पड़ता।।

   रचना संग पढ़ाई का भी देखो  चक्कर,
   संघर्ष से क्या डरना,जाऊं नहीं भगकर।
   ऐसे तो नहीं जाऊं यह  मैदान छोड़कर,
   सायली,हाइकु,रचनाओं से दूंगा टक्कर।।

   कवि इच्छा ने शास्त्रों का ज्ञान कराया,
   लिख-लिख मैंने भी तो इतिहास रचाया।
   जब कवि सम्मेलनों में मेरा नम्बर आया,
   उस दिन मानों प्यारे फूला नहीं समाया।।

   कुछ ने साथ दिया,कुछ ने हंसी उड़ाई,
   कभी तो ऐसे बोले कविता किसने गाई।
  संघर्षों की पगडंडी में,है बहुत कठिनाई,
  पर मैंने भी हिम्मत नहीं हारी है मेरे भाई।।

  गुरु बहुत बनाये तब जाकर ये विधा आई,
  मैंने छंद व्याकरण की नई पुस्तकें मंगवाई।
  कभी-कभी तो मम्मी ने भी आंखें दिखलाई,
  बंद कमरे में लिखता मैं,पड़े नहीं परछाईं।।

  अर्थ पक्ष ने भी अंदर तक से खूब हिलाया,
  बेरोजगारी का आलम भी तो आड़े आया।
  क्षमा करना कुछ गलती रह गई हो भाया,
  'राजस्थानी' ने कथ सोच समझकर गाया।।
   ©®
      रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)

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