विनय साग़र जायसवाल

ग़ज़ल -

पहले दूजे का कुछ तो भला कीजिए
फिर तवक्को किसी से रखा कीजिए
हुस्ने मतला--
यह इनायत ही बस इक किया कीजिए
हमसे जब भी मिलें  तो हँसा कीजिए

 साथ लाते हैं क्यो़ सैकड़ों ख्वाहिशें
हमसे तन्हा कभी तो मिला कीजिए

हाल मेरा ही क्यों पूछते हैं सदा
अपने बारे में कुछ तो लिखा कीजिए

आपको है हमारी क़सम हमनफ़स
हमसे कोई कभी तो गिला कीजिए

 आप भी और बेहतर कहेंगे ग़ज़ल
दूसरे शायरों को पढ़ा कीजिए

आप *साग़र* की ग़ज़लों में हैं जलवागर 
थोड़ा बनठन के यूँ भी रहा कीजिए 

🖋️विनय साग़र जायसवाल बरेली
20/3/2021

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