घोटालों का दौर बताओ कब से है ,
तुष्टीकरण की राजनीति यह कब से है ,
भ्रष्ट राज्य की नींव रखी किसने भाई,
देश जलाने का षड़यन्त्र ये कब से है?
नेता सुभाष का त्याग तुम्हें है याद नहीं,
अध्यक्षीय विस्थापन तुमको याद नहीं,
शायद तुष्टीकरण वहीं से शुरू हुआ,
ऐसे नेता की कुर्बानी कैसे याद नहीं।।
सैंतालीस का देश विभाजन याद तो है,
अबलाओं की लुटती इज्जत याद तो है,
लाशों पर जो राजनीति का खेल हुआ,
तड़प गयी थी मानवता वो याद तो है।।
नहीं था जनमत कभी पक्ष में नेहरू के,
हर जनमत था साथ रहा बस बल्लभ के,
सत्ता की लोलुपता जिसके मन में था,
स्वार्थपरायण नर चलते थे संग गाँधी के।।
अड़तालीस का जीप घोटाला याद करो,
कृष्र्ण मेनन का सभी हवाला याद करो,
मुंध्रा तेजा पटनायक मारूति आयल देखो,
बैंक दलाली और सत्यम घोटाला याद करो।।
कृष्णामाचारी से लेकर राजघराना शामिल था,
गोपालकृष्णन हर्षद सुखराम तेलंगी शामिल था,
संजय राजीव लालू संग यूरिया व चारा याद करो,
ऐसा लगता देश का सेवक ही ज्यादा जालिम था।।
✍️कुमार@विशु
✍️गोरखपुर
✍️स्वरचित मौलिक रचना
क्रमशः.......
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