काव्य प्रतियोगिता हेतु।। कवि सम्मेलन।। प्रेषित नवीनतम रचना, विषय... परिवार, अवलोकन करें...। हम भी ही रहें दो हमारे भी दो कतना बढि़या यहु लागतु है।। पूतहि एकहु या करतार औ बेटी कहाँ केऊ दुई चाहतु है।। सुक्ख दिनानु तौ नीको लगे मुल बातु दुखे कसु भावतु है।।। भाखत चंचल आए दिना दुख सहयोगी रहेगे ना लागतु है।।1।।। जबु शादी वियाहे कै चाहु रहे तौ सगे सम्बन्धी मिलैंगे कहाँ।। लाओगे मौसी को खोजि जहाँ जे रही है सदा ही है माँ की महाँ।। चाह उठय जौ चाचा हिया अरु और हु चाची को पावो यहाँ।।। भाखत चंचल दादी औ दादा को ढूँढि़ जहान मा लावो कहाँ।।2।।। जबु आवेगी ई त्यौहारू घडी़ सुनसानु लगैगा भवन तुमरा।। उठैगी जो चाह विदेशु चाकरी मातु पिता कै प्रबन्धु खरा।।। अरु बाबा औ आजी कहोगे किसे औ फूफी व फूफा कहोगे जरा।।। भाखत चंचल नीकु सदा दुई मुल ई संबन्धु विलुप्त परा।।3।।। संयुक्त कुटुम्ब रहा बहु नीकु जे संकट मा सहयोगी रहा।। गाढे़ मुसीबतु आये दिना औ दुक्खू निशा कटि जात रहा।। ईश्वरू कै यहु देनु रही ना तोवंश की चाह अभाऊ रहा।। भाखत चंचल या मँहगाई तौ एकु बहानो ना साँचु रहा।।4।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल।ओमनगर, सुलतानपुर, उलरा,चन्दौकी, अमेठी,उ.प्र.।। मोबाइल... 8853521398,9125519009।।
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: इस समय समूची दुनिया कोरोना से तो जूझ ही रही है ,मगर कल से खबर आ रही है कि आतंकवादियों का पनहगार फिलिस्तीन इजरायल को ललकार दिया ,आगे मेरे सवैया छन्दों में अपनी समझ से सुलझाने का प्रयास किया ,अवलोकन करें..... फलस्तीनु हमाम उठी चिंगारी दिशा इजराइल धाय चली।।। आयरन डोम रचा जेहिकय वहिकय ना गलाई ही दाल गली।। विरोधी रहे धुर एकदुजो मुल सोवत साँपु कै आँखि चली।। भाखत चंचल काव कही डारी मिसाइल पतौ ना चली।।1।। सोवतु बाघ जगाय दियौ तब तड़पतु हालि हौं काऊ कही।।। आधा ही शहरू विलाइ गयो ऊ दशानु दशा नहि जात कही।।। अमरीकौ कै चालु हु सफलु भयी इजराइल कै बौछारू बही।।। भाखत चंचल देखि दशा अबु लागत जग दुई भागु सही।।2।।। नयनु गडा़ए है देखतु हिन्द औ पाक सियारू तौ जाय अँटी।।। दुइ भागु मा लाग बँटा जग हू ईरान औ तुर्की हु जाइ सँटी।।। अबु देखतु हिन्द दशानु इहय जबु मारू कोरोना रहा निपटी।। भाखत चंचल या करतारू ई यू एन ओ ना सकै डपटी।।4।। हाल बेहाल लगै फलस्तीनु रहा अंन्दाज कबौ ना सही।। रमजानु महीना जो पाक रहा तँह खून कै धारु गलीनु बही।। भहराय परी तौ अँटारी अँटा लगै कैइसु बयारु विरूद्ध बही।।। भाखत चंचल या करतारू ना सोवत शेर जगाऊ सही।।5।। आतंकगढी़ टर्की याकि पाक चाहै गाजा रहै या हमास कही।। भारत कै ऐलानु यहय नहि साथी हयी जो भया नु सही।। पाक तौ साथी अँटा हु तौ गाजा हमास अँटा जे रहा ना कही।।। भाखत चंचल या करतारू ई दुष्टनु कै यहु याहु सही।।6।। शेष आगे ..... आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल। ओमनगर, सुलतानपुर, उलरा,चन्दौकी, अमेठी, उ.प्र.।। मोबाइल... 8853521398,9125519009।।
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