एस के कपूर श्री हंस

ग़ज़ल।। संख्या 103।।*
*।।क़ाफ़िया।। इया  ।।*
*।।रदीफ़।। बनो ।।*
1
हो सके किसी के काम का जरिया बनो।
नफरत नहीं   महोब्बत का  दरिया बनो।।
2
जरूरत नहीं है   तुमको खुदा बनने की।
बस सिर्फ इंसान नेक और बढ़िया बनो।।
3
जरूरत नहीं  बस दुनिया में  दिखावे की।
दे जो इमारत को बुलंदी  वो सरिया बनो।।
4
किसी दर्द की दवा , बनो जख्म का मरहम।
बुझाये किसीकी प्यास ,तुम वो नदिया बनो।।
5
हैं अलगअलग बनो उनके, जोड़ की तरकीब।
जो बिखरों को जोड़ दें,तुम वो कड़ियाँ बनो।।
6
तुम इस दुनिया के गुलशन के, फूल हो जैसे।
कोशिश करके तुम बस, फूलों की लड़ियाँ बनो।।
7
*हंस* बिना भेद के दे , जो संबको  उजाला।
हो सके तो तुम वैसा  चिराग ए  दिया बनो।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।      9897071046
                    8218685464


*।।कॅरोना।। दवा तंत्र,साथ ही बचो और बचाओ,ये ही है मंत्र।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
लॉक डाउन बढ़ा  दिया है
पुनः अब     सरकार    ने।
बेमतलब बेवजह   कतई
न निकलें आप बाजार में।।
घर पर ही रह  कर   आप
दे सकते कॅरोना को  मात।
बस अभी हंसी खुशी वक्त
आप  बिताइये परिवार  में।।
2
स्वास्थ्य ही धन है कि यह
बात दुबारा जान लीजिए।
अभी घर रहने  में भलाई
बस यही   ज्ञान   दीजिए।।
कॅरोना के   साथ  चलना
रहना हमें  सीखना होगा।
अनुशासन     अनुपालना
का बस अहसान कीजिए।।
3
लॉक डाउन की  रियायत
का कोई दुरुपयोग  न हो।
बेवजह न निकलो  बाहर
कि कॅरोना से योग न  हो।।
मत जाओ     कि   जहाँ
जमा हों   बहुत से  लोग।
मत एकत्र   करें   सामान
ज्यादा कि यूँ ही रोग न हो।।
4
फांसला बना   कर   रहना
आज हमारा यही  कर्म  है।
कॅरोना   काल में  यही  तो
अब   सर्वोपरि    धर्म    है।।
दूरी मजबूरी नहीं  ये तो  है
आज समय  की    जरूरत।
वही बचेगा जीवित अब कि
समझ लिया जिसने मर्म है।।

*रचयिता।एस के कपूर " श्री हंस*"
*बरेली*।
मो     9897071046
         8218685464

*।।  प्रातःकाल   वंदन।।*
🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂
आपकी   खुशी  की हम
हर  बात खास करते हैं।
रोज़ सुबह आपके लिए
इक़   अरदास करते हैं।।
यह नया दिन  नई आस
लेकर आयेआपके लिए।
*अपने नित प्रणाम से हम*
*प्रकट विश्वास  करते हैं।।*
👌👌👌👌👌👌👌👌
*शुभ प्रभात।।।।।।।।।।।।।।।।।*
*।।।।।।।।।।।।।।  एस के कपूर*
👍👍👍👍👍👍👍👍

*दिनाँक.  27.   05.      2021*
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