"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
जेठ माह के प्रथम दिन की मेरी पहली रचना!! लक्ष्य!! का अवलोकन करें, पावन मंच को मेरा हार्दिक कोटि कोटि प्रणाम स्वीकार हो::::::::::: भिन्ननु भिन्न तू काजु करौ चहय लक्ष्य निगाह मुलैकहु लाई!! सोवतु जागतु रैनुदिना नु मा ना तुम वाहि दयौ बिसराई!! चक्र मा घूमत मीन के चक्षु मा तीर चुभावतु पारथु पाई!! भाखत चंचल गुरूवर हीन मुला एकलव्य धनुर्धर सांई!! 1!! काज अनेकहु सीखु मुला निज लक्ष्य निगाहु ना दूजो तू लाई!! मारगु भिन्न बहंय नदियानु मुला गंतव्य तौ सागरू भाई!! भिन्ननु काजु सिखौ गुन नीकु मुला करतव्य सुपंथु सुहाई!! भाखत चंचल देखनोहार निगाहु नही सकत्यौ तू छुपाई!! 2!! लगन विचार धरौ हिय नीकु औ दीनदयाल भजौ प्रभुताई!! पावन पुण्य विचारू रहै औ कुपंथ नु पै जौ ना पांव बढाई!! श्रम खूब करौ अनुशासनु धै नहि लोभु करौ जियरा मा धराई!! भाखत चंचल ता परिणामु मिलै सबु नीकु बिलम्बु ना लाई!! 3!! भोरहि तै धरि धीरजु धै अरु तन मन काजु करौ प्रभुताई!! लोभु औ लालचि दूर धरौ औ नाहि ईमानु का दूर हटाई!! काजु करौ परमेश्वर का भजि नीकु मिलै फलु याहि सचाई!! भाखत चंचल जौ छल छद्म तौ होय विकासु ना रामु दुहाई!! 4!! आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल!! ओमनगर सुलतानपुर उलरा चन्दौकी अमेठी उत्तर प्रदेश मोबाइल फोन***"*8853521398, 9125519009!!
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