सुनीता असीम

दूरियां कितनी सही उनसे मुहब्बत है तो है।

दिल के मेरे जो खुदा उनकी इबादत है तो है।

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देखना तिरछी नज़र से फेर लेना फिर नज़र।

श्याम की तिरछी निगाहों में शरारत है तो है।

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लब पे है इनकार पर इकरार नज़रों में रहे।

दिल में उठती आज अपने इक बगावत है तो है।

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बस मनाना रूठना ही प्यार का किस्सा रहा।

फिर भी हमको प्यार उनसे ही निहायत है तो है।

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रीत दुनिया की निभानी दिल न लेकिन साथ दे।

प्यार में तेरे मरूं दिल की इजाजत है तो है।

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सुनीता असीम

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