नूतन लाल साहू

मन के कागज पर

हे शारदा मां मुझे ऐसी प्रेरणा दें कि
एक सदभावना गीत लिख सकूं कि
जो गूंजे गगन में
महके पवन में
हर एक मन में
सुखी रहें सबकी जिंदगानी
हे शारदा मां मुझे ऐसी प्रेरणा दें कि
प्रेम का एक संदेश लिख सकूं
हर घर ऐसा बने कि
जिसमें प्रेम की ईंट और गारा हों
हर नींव में भाई चारा हों
कंधो जैसी छतों का सहारा हों
दिल की खिड़की में उजियारा हों
वह घर गिरें नही,भूचालो से
घर वालों में प्रेम भावना हों
हे शारदा मां मुझे ऐसी प्रेरणा दें कि
एक प्रेरक प्रसंग लिख सकूं
हर मानव में संयम और मर्यादा हो
हिंसा पर न हो आमदा
संवेदन की झंकृतिया हों
ऐसा कॉलम हो भविष्य का, कि
बच्चे अपने मुस्कुराएं
हे शारदा मां मुझे ऐसी प्रेरणा दें कि
एक ऐसी गाथा लिख सकूं
जो जिंदगी के रण में
और इक्कीसवीं सदी के 
अंतिम चरण में
हर आदमी को,जो समाचार मिलें
वह शुभ ही शुभ हों
कोई भी अमंगल न हो
मन के कागज पर
ऐसा ही कुछ लिख सकूं
मुझे शक्ति दे मां,मुझे शक्ति दे मां

नूतन लाल साहू

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