ग़ज़ल।।संख्या 102।।*
*।।काफ़िया।। आन।।*
*।।रदीफ़।।होता ही है।।*
1 *मतला*
इश्क में इम्तिहान तो होता ही है।
महोब्बत में परेशान होता ही है।।
2 *हुस्ने मतला*
होश में बढ़ना नहीं तो बदनाम होता ही है।
दुनिया पास बारूदे सामान होता ही है।।
3
जान पे खेल जाना होता उसकी गली।
गली में रक़ीब का मकान होता ही है।।
4
नौबतआती उसका कमरा बंद होने की।
डरना क्या कमरे में रोशनदान होता ही है।।
5
पर हद से मत गुजरना कि पिट जाओ।
हर जगह कोई गुलदान तो होता ही है।।
6
महोब्बत तो महोब्बत है पर करना देखकर।
मामला बढे तो दस्तूरे खानदान होता ही है।।
7
संभल के रखना कदम दरियायेआग में।
ये न कहना किआशिक तो नादान होता ही है।।
8
*हंस* पर जो होता है इक़ सच्चा आशिक।
किस्मत का सितारा मेहरबान होता ही है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
8218685464
*Good......Morning*
*।। प्रातःकाल वंदन।।*
🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂
सस्नेह सादर प्रणाम
करता हूँ आपको।
अपना वंदन सलाम
करता हूँ आपको।।
हर सुबह बहुत ही
अनमोल होती है।
*प्रातः नमस्कार नाम*
*करता हूँआपको।।*
👌👌👌👌👌👌👌👌
*शुभ प्रभात।।।।।।।।।।।।।।।।।*
*।।।।।।।।।।।।।। एस के कपूर*
👍👍👍👍👍👍👍👍
*दिनाँक. 23. 05. 2021*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें