मधु शंखधर स्वतंत्र

🌹🌹 *सुप्रभातम्*🌹🌹
*गीत*
*मौन मत होइए*
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मौन मत होइए कुछ कहा कीजिए।
भाव अपने ह्रदय के बता दीजिए।

वेदना जो छिपाते रहे आज तक।
सामने मुस्कुराते रहे आज तक।
मान कर मीत अपना जरा रीझिए।
मौन मत होइए..........।।

शब्द माध्यम बने भाव अभिव्यक्ति का।
साधना तब दिखे मूल आसक्ति का।
गीत महफिल नया गुनगुना लीजिए।।
मौन मत होइए.............।।

शांति ऐसी कभी रास आती नहीं।
बोल प्रियजन बिना चैन पाती वहीं।
बोल मीठे मधुर रस पिला पीजिए।।
मौन मत होइए............।।

नैन से बात कह दो कहो तो सही।
भावना व्यक्त करना गलत भी नही।
सत्यधारा ह्रदय पौध को सींचिए।
मौन मत होइए............।।

जिन्दगी की किताबें पढ़े जो सभी।
याद उनको करो भाव फूटे अभी।
*मधु* ह्रदय नीर वर्षा सतत भींजिए।।
मौन मत होइए........ ।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*✒️
*26.05.2021*

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