🙏🏼 *सुप्रभातम्*🙏🏼
*मधु के मधुमय मुक्तक*
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🌹🌹 *द्वार*🌹🌹
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◆ द्वार ह्रदय का खोलिए, वास करें जगदीश।
शोभित जीवन साधना , भाव रहे अवनीश।
सत्य भावना हो ह्रदय, नैतिक हो व्यवहार,
दूजों के प्रति हो दया, स्वयं बसें हिय ईश।।
◆ द्वार खुला हो वह सतत, जिसके हिय अति प्यार,
मानव के प्रति प्रेम हो , रहे सहज व्यवहार।
दीन हीन सेवा करे, कर्म धर्म शुभ जान,
ईश्वर की है यह कृपा, एक यही आधार।।
◆ निर्मल गंगा बह रहीं, शिव बसते हरिद्वार।
संतो की यह भूमि है, धर्म रूप विस्तार।
धरा सुखद है लाल से, कर्म बढ़ाए मान,
जननी हिय में प्रेम का, भाव बसा संसार।।
◆ संकल्पों में जो अटल, खुले सतत शुभ द्वार।
राम मिला वनवास तो, त्याग चले घर बार।
त्याग समर्पण भावना, साथ अटल विश्वास।
मर्यादा पालन किए, राम बने करतार।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*✒️
*27.05.2021*
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