निशा अतुल्य

बालगीत
गर्मी का मौसम
31.5.2021

आम,लीची,आड़ू का मौसम आ गया
मन को मेरे बहुत ही ललचा गया
बहुत मीठे है भाई तरबूज,खरबूजे
भर गया पेट,पर मन तरसा गया ।

माँ कहती रोटी भी खाओ
तन को अपने स्वस्थ बनाओ
मुझको पर भाता है आम
बाबा का गुस्सा खाना खिला गया
आम,लीची,आड़ू के मौसम आ गया ।।

गर्मी में बहुत अच्छा लगता है शरबत
मगर आम का पन्ना दिल तरसा गया
बचपन अपना पतंगों संग उड़ाया मैंने
रिमझिम बारिश का पानी तन भीगा गया ।
आम,लीची,आड़ू का मौसम आ गया।। 

दोपहरी भर खेलते लड़ते संगी साथी
मस्तियों का आलम बेशुमार छा गया 
छुट्टी हुई पाठशाला की छूटी जान
सबके घर आने से उत्सव सा छा गया 
आम,लीची,आड़ू का मौसम आ गया।। 

माँ का हाथ बटाऊँ,आज मेरे दिल में आ गया
देख थकी सूरत माँ की,समय मुझको बड़ा बना गया
मेरा प्यारा बचपन,मुझको समझदार बना गया 
मैं जिद नहीं करती,फल अब भी भाते हैं बहुत 
समय सबकी अहमियत मुझको समझा गया
आम,लीची,आड़ू का मौसम आ गया।।

स्वरचित
निशा"अतुल्य"

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