मधु के मधुमय मुक्तक
🌹🌹 *गौहर*🌹🌹
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◆ गौहर सागर में छिपा , विरले सीपी साथ।
माला की शोभा बने, पहने दीनानाथ।
उज्ज्वल आभा देख कर, हर्षित ह्रदय अपार।
शांत चित्त पर्याय है, आए जब यह हाथ।।
◆ गौहर सौहर ने दिया, जड़ी अँगूठी बींच।
सुख सौन्दर्य बढ़ा करे , रखती प्रतिपल भींच।
चाहत में सबकी बसे, सच्ची हो पहचान,
प्राप्त इसे जो कर लिया, त्वरित इसे ले खींच।।
◆ गौहर संज्ञा श्रेष्ठ है, शुभग सदा पहचान।
रंक प्राप्ति इच्छा धरे, भूप लुटाए शान।
चमक विशेषण भी बने, ये विशेष्य के साथ,
धरते गौहर शान से, आभा का प्रतिमान।
◆ गौहर सम संज्ञा मिले, धारा वही विशेष।
माला में धारण करे, शोभा अनुपम भेष।
सदा मनुज की धीरता, गौहर का संदेश,
धैर्य सहज अरु शांत ही, भाव बसे अनिमेष।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*✒️
*31.05.2021*
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