डाॅ० निधि त्रिपाठी मिश्रा

*वही है बुद्ध* 


 हृदय से जो शुद्ध, 
अनीति के विरुद्ध, 
ऐन्द्री सुख निरुद्ध ,
वही है बुद्ध, वही है बुद्ध।

आत्म में लीन, 
परमात्म में तल्लीन, 
सकल विकार विहीन, 
वही है बुद्ध, वही है बुद्ध। 

प्रतिपल चिन्तशील, 
निरन्तर प्रगतिशील, 
अपनाये जो पंचशील ,
वही है बुद्ध, वही है बुद्ध। 

धारण करे सत्य, 
त्यागे मदिरा मत्स्य 
अखिल विश्व स्तुत्य, 
वही है बुद्ध, वही है बुद्ध। 

धारे ईश्वर रूप, 
संदेश दे अनूप ,
ज्ञान से भरे हृद कूप, 
वही है बुद्ध, वही है बुद्ध। 

अपनाये वैराग, 
मोह माया त्याग,
जिसकी जाये प्रज्ञा जाग, 
वही है बुद्ध, वही है बुद्ध। 

परहित धर्म, 
सन्मार्ग कर्म, 
समझाये ईश मर्म,
वही है बुद्ध, वही है बुद्ध। 

करे युग परिवर्तन ,
विसंगतियों का परिमार्जन, 
हर्ष का उत्सर्जन, 
वही है बुद्ध, वही है बुद्ध। 

 *स्वरचित-* 
 *डाॅ०निधि त्रिपाठी मिश्रा ,* 
 *अकबरपुर, अम्बेडकरनगर।*

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