शीर्षक----भवनाए
एहसास हूँ मैं
झोंका पवन विश्वाश हूँ मैं
भाव भावना का प्रवाह हूँ मैं
प्रत्यक्ष नही परोक्ष नही अंतर मन
कि आवाज हूँ मै।।
जिसने जैसा मेरा वरण किया
उसका वैसा ही मैंने भरण किया
मैं क्रोध की ज्वाला प्रेम की
शीतल छाँव हूं मैं भावना हूँ मैं दिखती नही सिर्फ एहसास हूँ मैं।।
शक्ति जउत्साह हूँ पराक्रम
पुरुषार्थ हूँ वर्तमान की पहचान
अतीत का स्वर्णिम इतिहास हूँ
एहसास हूं मैं।।
वीरान रेगिस्तान गम आंसू
मुस्कान आरम्भ अनिवार्य हूँ
मैं दिखती नही सिर्फ एहसास हूँ मैं।।
आग ज्वाला आँगर शोला धुंआ
धुंध अंधकार निराशा पराजय में
जय , जय में पराजय का आगाज़
अंदाज़ हूँ भावना हूँ एहसास हूं मैं।।
प्रेम की परिभाषा भाषा
चाह चाहत इच्छा अभिलाषा
सृंगार हूँ , द्वंद द्वेष घृणा युद्ध
आवाहन शंख नाथ हूँ मैं एहसास हूँ मै।।
भरत राम मर्यादा महिमा युग धर्म गोपियों की प्रेम भक्ति उद्धव का बैराग्य ज्ञान गीता का कर्म ज्ञान हूँ मैं मैं दिखती नही एहसास हूँ मैं भावना हूं मैं।।
मैं वर्तमान का शौर्य सूर्य अतीत की प्रेरणा भविष्य की नव चेतना जागरण का सिंहनाद हूं, मैं भावना हूँ मैं दिखती नही युग मे करा सब कुछ देती
एहसास हूँ मैं।।
मुझे जगाओ शुभ संध्या की राग रागिनियों में प्रभा पराक्रम आवाहन सिद्ध सफल सिद्धान्त में अविरल निर्झर निर्मल की निर्वाण,निर्माण में मैं दिखती नही भावना हूँ मैं एहसास हूँ।।
जिसने जैसा मेरा वरण किया वैसा
ही उसका मैन विकास बैभव संवर्धन
किया क्योंकि मैं भावना हूँ सिर्फ एहसास हूँ मैं।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश
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