खुशियों का पल परिवार----
प्राणि प्रकृति परमेश्वर
ब्रह्मांड युग अवयव निर्माण
प्राणि जीवन परिवार समाज।।
प्रेम भाव भावना रिश्ता
समाज का आधार सुख
दुख गम खुशी मुस्कान।।
रिश्तो की दुनियां का
अपना रीति रिवाज
संस्कृति सांस्कार जन्म
जीवन का लम्हा लम्हा साथ।।
माँ बाप से शुरू रिश्ता
समाज माँ बाप से सफर
सुरु ना जाने कितने ही
रिश्ते नातो का आना जाना
समाज।।
परिवार परस्पर नेह स्नेह
सामाजिक नैतिक संबंधों
रिश्तो का विचार व्यवहार ।।
घर एक मंदिर
भाव भावना की दीवारे
आस्था विश्वाश की बुनियाद।।
हर रिश्ता एक दुजे की खातिर
एक दूजे की खुशियाँ सौगात।।
एक दूजे का साथ हाथ
चाहे जो भी स्तिति परिस्तिति
दुःख चुनौती लम्हा लम्हा साथ।।
एक साथ जब होते साथ
खुशियों की वारिस सौगात।।
माँ बाप दादी दादा भाई बहन
जाने क्या क्या रिश्तो का
परिवार।।
एक साथ जब होते
परमेश्वर मुस्काता
देख अपनी दुनियां
का परिवार समाज।।
द्वेष दंम्भ गृणा बैर
नाही चाहता है ईश्वर
चाहत उसकी प्रेम करुणा
का संसार।।
भाव भावना की
अनुभूति अनुभव रिश्तो
खुशियों का परिवार समाज
प्राणि प्रकृति ब्रह्मांड।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश
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