निशा अतुल्य

भक्ति गीत
20.5.2021

कान्हा मन में आन बसे हो 
चोरी सांसो की कर लो
साथ ले चलो अपने संग ही
मुरली बना अधर धर लो ।

मीरा सी न प्रीत हो मुझसे
न राधा सा सयंम है 
द्रौपदी सम बनू सखि मैं
लाज मेरी तुम ही रख लो ।
कान्हा मन में आन बसे हो 
चोरी सांसो की कर लो ।।

ग्वाल बाल संग खेलना तेरा
गोपियन संग रास रचो
तेरे प्रेम में खो कर कान्हा
लगे सब कुछ अर्पण कर दो ।
कान्हा मन में आन बसे हो 
चोरी सांसो की कर लो ।।

फोड़े मटकी बाहं मरोड़े
जो तेरी बात न कान धरो
मैया से जा करूँ शिकायत 
वरना नाच दिखा मुझको ।
कान्हा मन में आन बसे हो 
चोरी सांसो की कर लो ।।

तू चितचोर है कैसा कान्हा
चित न कोई अब ध्यान धरो
भरी दोपहरी ताकने तुझको
पनघट पर सभी शोर करो 
कान्हा कान्हा नाम रटे सब 
नाम अपना बिसराय गयो ।
कान्हा मन में आन बसे हो 
चोरी सांसो की कर लो ।।

कान्हा तू जो रटे राधिका
मुरली की तान मधुर कर लो
राधा राधा जो भी करे
तुम उसके सगरे काम करो 
तारो प्रभु जीवन हमरा
कुछ और न हमने चाह करो ।
कान्हा मन में आन बसे हो 
चोरी सांसो की कर लो ।।

स्वरचित
निशा"अतुल्य"

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