"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
पावनमंच को शतशत नमन ,वन्दन व अभिनन्दन,आज की रचना ।। लालच।। पर है,अवलोकन करें.... लालिचु नीकि कतौ ना कबौ यहु सुधरतु काजु नसावतु है।। आदि ना अन्त ना इच्छा कबौ जतनै मिलि जात ना भावतु है।। मुल याकिनु बातु बुझाइ रहा गम नीकु तुँहय समुझावतु है।। भाखत चंचल नजर झुकाइ चलै पथु तौ नाहि कबौ भरमावतु है।।1।। ऊँची निगाहु चलै नहि पंथ इहय सबु संत बतावतु हैं।। जौनै दिहे करतार तुहँय वहि माँहि जोई सुख पावतु है।। घोडा़ औ हाथी लहो सुख नाहि याकि रत्न नवौ नहि आवतु है।। भाखत चंचल बंद मुठी जबु आयहु तौ अरु हाथ पसारेहु जावतु है।।2।। गज ढाई जमीन मिली सबुका अरु वतनै कफनु हु तौ पावहुगे।। ह्वैहँय काव अँटारी अँटा नहि जीवनु मा सुख पावहुगे।। धन धान्य ईमान मिलै जतना वतनेनु मा तू आदरू पावहुगे।। भाखत चंचल दीनु ईमानु नसै पुनि ताहि ना पावहुगे।।3।। उत्तिमु जबु आचारु विचारु जौ नीकु तौ वैइसेनु भाऊ मिलै।। मुला याहि गये सत्कारु नसा नयनानु कतौ ना सुभाऊ मिलै।। भूपति मान मिलै तेहि राजु मुला विद्वानु समानु मिलै।।। भाखत चंचल त्यागहु लालिचु औ विपरीतु स्वभाऊ मिलै।।4।। रूखा औ सूखा मिलय घरुका अरू शीतल पानी मिलै तुहँका।। नीकु मिलय औ मलाईमिलै मुला जबही अपमानु हियाका।। व्यौहारू मा काजू मिलय मनमारि तौ नीकु कहाँ ई विचार कतौ का।। भाखत चंचल काव कही जौ नसा स्वाभिमान नसै मनुका।।5।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल।। ओमनगर, सुलतानपुर, उलरा ,चन्दौकी, अमेठी,उ.प्र.।।प्रोडक्ट प्रचारक व सेल्स इक्जीक्यूटिव धनवन्तरि बायोसाइंस प्रा.लि.कोलकाता व एल आई सी . आफ इण्डिया, सलाहदाता, पत्रकार ।।द ग्राम टुडे।।दैनिक व साप्ताहिक।। मासिक मैग्जीन, यू ट्यूव चैनल भी।। गाँव देहात की खबर,शहर पर भी नजर।।जय हिन्द ,जय भारत ,जय जय जय धनवन्तरि।। वन्दे मातरम्।। मोबाइल... 8853521398,9125519009।।
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