डाॅ०निधि त्रिपाठी मिश्रा

*दौर कठिन है दोस्तों* 

दौर कठिन है दोस्तों, ये सोच बात कर लिया करो। 
गुजर जायेगा आहिस्ता, धैर्य हृदय धर लिया करो। 
माना कि गम बाँटेंगे नहीं, न समझ सकेंगे सब तुमको,
बोझिल मन कुछ हल्का होगा, इसलिए दर्द कह दिया करो।
दौर कठिन है दोस्तों..... 

हाथ बढाओ और थाम लो, गिरते का सहारा बना करो। 
जीतें हैं सभी अपनी खातिर ,दूजे के लिए भी जिया करो। 
आप रोशनी बन जाओगे, सूरज भी कहलाओगे। 
कुछ भटके मायूस लोग हैं, दीपक बन जल लिया करो।

दौर कठिन है दोस्तों.... 

कोई फरिश्ता आता नहीं, आफत में साथ निभाने को, 
मगर मुसीबत की हालत में, सिर्फ इंसा, बन जाया करो। 
सुख- दुःख तो आना- जाना है, इसका क्या रोना, रोना ।
सब बन्दे हैं इक मालिक के, आपस में मिलकर रहा करो।

दौर कठिन है दोस्तों..... 

मुश्किल रातें, दुष्कर दिन हैं, हैं कदम- कदम पर मजबूरी।
जीने के लिए, जो पल हैं मिले, खुल कर उनको जी लिया करो। 
कब ,कौन ,राह में छोड़ चले, हमदर्द रहे, ना हमसाया, 
होठों पे हँसी,दिल को हो सकूँ,कुछ बात ऐसी कह दिया करो।

दौर कठिन है दोस्तों...... 

गुजरें हैं जमाने साथ बहुत, अब वक़्त हुआ है दूरी का। 
हो बेपरवाह इस दूरी से, अहसास मुहब्बत किया करो। 
हौसला अगर, ना पस्त हुआ, महफूज गुलिस्ताँ फिर होगा। 
आबाद रहे ये गुल-गुलशन, फरियाद, दुआ दिल किया करो।

दौर कठिन है दोस्तों....

स्वरचित-
 *डाॅ०निधि त्रिपाठी मिश्रा*

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