सुनीता असीम

बिना तेरे किधर जाऊँ।
कहे तू तो मैं मर जाऊं।
****
डगर मुश्किल मुहब्बत की।
इसे भी पार कर जाऊँ।
****
तू ही है आइना मेरा।
बिना देखे बिखर जाऊँ।
****
बता दे हो अगर मुमकिन।
तेरे दिल में उतर जाऊँ।
****
नज़र जो पड़        गई तेरी।
मैं खिलकर के निखर जाऊँ।
****
सुनीता असीम
१७/५/२०२१

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...