नूतन लाल साहू

अलमारी में रखें पुराने खत

वही रंग,वही ढंग
वही हाल,वही चाल
अलमारी में रखें पुराने खत
आ गया नया साल
खुशहाली को आफतों ने डस्सी
हास्य व्यंग की पीओ लस्सी
बीता बरस,बात हुई बासी
पूरी हो गई,बारहमासी
अलमारी में रखें पुराने खत
आ गया नया साल
वैसे तो हमें,कोई ख़ास
शुभकामना संदेश नहीं आया
पर दोस्तों को भेजते रहें
शुभ कामनाएं
आधुनिक युग,इक्कीसवीं सदी में भी
है लोग अंधविश्वासी
अलमारी में रखें पुराने खत
आ गया नया साल
ये हंसी भी चीज है करामाती
आती है तो आती है
नही आती है तो नही आती है
आप कोशिश करते रहिए
सबको हंसाने की
नही आयेगी, और
आयेगी तो,बिना बात के बात पर
आ जाएगी
अलमारी में रखें पुराने खत
बहुत ढूंढी,बहुत ढूंढी,नही मिली
पर अचानक,एकांत में
अपनी बत्तीसी खिली
क्योंकि खत लगी हाथ में
खुशहाली को आफतों ने डस्सी
हास्य व्यंग की पीओ लस्सी

नूतन लाल साहू

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...