सुखमिला अग्रवाल भूमिजा

*कैसा ये तूफान*
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घिरी जब मेरी किश्ती, बने हो तुम पतवार।
फंसा था तूफान में, बचा लिया हर बार।१।

तूफान सा जीवन मेरा, तुम लो हमको थाम।
चरणों का नित ध्यान हो,करना इतना काम।२।

घिर घिर चहुँओर घिरे,कैसा है तूफान।
सूझे ना राह कोई,सम्भालो अब आन।३।
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सुखमिला अग्रवाल'भूमिजा'
स्वरचित मौलिक
कापीराइट ©️®️
मुंबई

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