नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

नीरज निर्मल अविरल निर्झर
निष्काम कर्म का जीवन जीवंत
योद्धा हो ।।
शौम्य मृदु मधुर मुस्कान
शान स्वाभिमान मूल्य मूल्यवान
व्यक्ति व्यक्तित्व अनूठा हो ।।
पानी आग समीर अविनि आकाश पंच
तत्व में  मलय सुगंध पुरुषार्थ पुरोधा हो।।
अविरल निष्छल निर्विकार 
निर्विरोध साकार सत्य परमेश्वर
का सच्चा वंदा हो।।
रचना जीवन धर्मिता धर्म मर्म
कर्म  दूषित कलयुग में स्वच्छ
सार्थक मानव मानवता हो।।
माँ बाप का पुण्य प्रताप
माँ बाप के पुण्य प्रताप का
परम् शौर्य सूर्य नीरज अनमोल
रत्न सा हो।।            
चाहे जितना रूठ जाओ
चले जाओ छोड़ हम सबको
फिर भी हम तो नीरज के 
अरमानों का दीप जलाये
रखेंगे।।
उद्देश पथ था जो आपका
उसको महकाये रखेंगे
श्रद्धा की अंजली में यही
भाव पुष्प अर्पित हम करते
है ।।  
स्वर्ग में मील आपको 
ईश्वर का आशीर्वाद मिले
रिश्ते नातों को आपके जीवन
मर्यादा मूल्यों का पुण्य प्रताप
प्रसाद मिले।।

नांदलाल मणि त्रिपाठी  पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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