आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल

पावनमंच को मेरी तरफ से सुबहोसुबह का प्रणाम और आप सभी के आशीर्वाद की कामना करताहुआ दिनानुदिन हमारी आप सभी की प्रेरणा से प्रारम्भ की गयी काव्य रचना ।।धनवन्तरि शतक।। धीरे धीरे पूर्णता को प्राप्त हो रही है ,आगे यह विचार आ रहा है कि रोग और उनकी दवा पर अगली पुस्तक में छन्द माध्यम से ही समाज में प्रसारित करूँ ,मगर यह तभी सम्भव होगा जब हमारे सीनियरान और पाठक इसी तरह प्यार और आशीर्वाद देते रहेगें आज मैने ।।लगन।।शब्द।। को ध्यान में रखकर रचना की है ,यहाँ मैं अपने ग्रेट अपलाइन मि. सूरज कश्यप सर को अन्तरात्मा से हार्दिक धन्यवाद देना चाहूँगाकि काव्य शतक पूरा होने में उनका विशेष उत्साहवर्धन रहा, अवलोकन करें....                                   रूचि जागे हिया सबु काजु सधै बिनु इच्छा किहे नहि होतु भलाई।।                 इच्छा जगी जबहीं जियरा  तबै आयै पै औसरु हाँथु लगाई।।                             जागी रही इच्छानु जबै भरि चोंचु ते नीरहु आगि बुझाई।।                              भाखत चंचल प्रश्न भये तौ रूचिकर उत्तरू आवतु साँई।।1।।                            इच्छा जगी जियरा कर्मवीरू तौ खोदि पहाड़ तै सरिता बहाई।।                          इच्छा जगी जियरा मरूभूमि  बहा श्रमुशीकरू  फसिलु उगाई।।                      भाखत चंचल नेहु जगी तबै  विषु प्यालिनु कंठ लगाई।।2।।।                       चाह रही तबै झाँसी कै रानी  साजि के सैन्य फिरंगी भगाई।।                             चाह उठी जियरा महराणा  तबु जंगल जंगल घूमिह जाई।।                           चाह उठी तबै घास कै रोटी  मुगल सम्राट ते कीन्हि लडा़ई।।                        भाखत चंचल चाह नही तौ परोसी   हु थाली उदरू नहि जाई।।3।।                      चाह जगी  जियरा तौ अपाला  जौ दाग सफेद मिटाय धराई।।।                             चाह उठी  जियरा तबै मूरख पाठु औ ध्यान कालीदास कहाई।।                     चाहनु बातु रही जियरा  रत्नाकर हू बाल्मीकि कहाई।।                            भाखत चंचल चाह सबूत तौ बाबा  हू राम चरित्र जू गाई।।4।।                            गरीबी हटैगी नसैगी बेमारी यही धनवन्तरि वीणा उठाई।।                       औसरु हाथु गँवावै जोई तौ निरा निर्बुद्धि कहावौं हौं भाई।।                        अइहँय लक्ष्मी नेटवर्कु किहै  जौ चाह उठै तौ नेहू लगाई।।                              भाखत चंचल आलसि छाँडि रचाओ समूह ओ लाभु कमाई।।5।।                      आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल। ओमनगर ,सुलतानपुर,  उलरा,चन्दौकी ,अमेठी .उ.प्र.। प्रोडक्ट प्रचारक व सेल्स इक्जीक्यूटिव डीबी एस ,प्रा. लि. कोलकाता ,भारत।। गाँव देहात की खबर शहर पर भी नजर। द ग्राम टुडे।। दैनिक, साप्ताहिक व मासिक मैग्जीन तथा यू ट्यूव चैनल भी।। एल आई सी आफ इण्डिया।। भारत।। सलाहदाता।। जय जय जय धनवन्तरि,जय हिन्द, जय भारत,वन्दे मातरम् ।।

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