"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
पावनमंच को नमन ,वन्दन ,व अभिनन्दन ,आजु की रचना ।। प्रकृति।। पर है,अवलोकन करें..... याकु तौ मारू कोरोना चलै अरू दूजो तुफानु उठय अँगिराई।। तीजौ युद्ध लगे निहचय जेहिमा तो फलस्तीनु परा भहराई।।। सबु मुसलिमु देशु विचारु करैं इजराइल भेजू रसातलु जाई।। भाखत चंचल दीनदयालु ई कैइसु विकास धरानु देखाई।।1।। राकेट अऊर दगै जौ मिसाइल नारी नरौ सबु बालु बताई।।। कँह रमजान रहा अरू माधव पाक महीना मा युद्ध रचाई।।। कतनेन जीव कोरोना मरे अरू जीव विनाशकु युद्ध देखाई।।। या करतारू दयो सद्बुध्दि ई कवनु बवालु धरानु पै आई।।2।।। अबै आवै जौ माह ई जेठु असाढु तौ इन्द्र धरानु हु आफतु लाई।।। सगरी नदियानु बहैगी ऊफानि औ वारिधि लहरू अकाशनु जाई।।। कहूँ बाढ भयानकु रूप धरै अरू बूँद धरानु कतौ नहि आई।ः भाखत चंचल कारनु याहिव जीव इहै सरकारहू लाई।।3।। जो वृक्षानु रहे ई धरानु तँहा अबु रोड अँटारी सुहाई।। चंचल चील औगिद्ध गौरैय्या उठाई लयो यहू टावरु लाई।। प्रकृति विनाशु जौ जीव करै तौ कोपि गयी इहौ प्रकृतिऊ भाई।।। कहूँ कहूँ बाढ दिखै विकरालु औ कहूँ भुँईडोल मकानु ढहाई।।4।। . . आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल।। ओमनगर, सुलतानपुर, उलरा,चन्दौकी, अमेठी ,उ.प्र.।। मोबाइल....8853521398,9125519009।। पत्रकार.. द ग्राम टुडे ।।दैनिक, साप्ताहिक, मासिक मैग्जीन ,यूट्यूव चैनल के साथ,एल आई सी आफ इण्डिया, सलाहदाता, प्रोडक्ट प्रचारक व सेल्स इक्जीक्यूटिव धनवन्तरि बायोसाइंस प्रा.लि. कोलकाता, भारत।। जय हिन्द,जयजयजय धनवन्तरि।।वन्दे मातरम्।।
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