" कवि और कविता "
कवि कविता कवित्र का,
महके ऐसा इत्र,
औरन को शीतल करे,
गर्व करें सब मित्र।
कविता उर का भाव है,
बिनु स्वर करती जिक्र।
रह कर ये अनबोल भी,
करती सब की फिक्र।।
शक्ति कल्पना की आंके,
कवि का रचित कवित्र।
कविता कवि की भी करे,
चित्रण सभी चरित्र।।
सूरदास तुलसी कवीर की,
कृति हैं रस की खान।
मर के भी वे अमर हुए,
करते सब रस पान।।
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रचयिता- विजय मेहंदी (कविहृदय शिक्षक)
कम्पोजिट इंग्लिश मीडियम स्कूल शुदनीपुर,मड़ियाहूँ,जौनपुर (यूपी)
📱91 98 85 22 98
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