लता विनोद नौवाल - काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार

काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार

1- श्री गणेशाय नमः
एकदंताय  विशालकाय 
विद्या बुद्धि प्रदायक 
गुणों के ईश 
विघ्न विनाशक देवाय नमः 
सबसे पहले आपकी पूजा
 बाद में होगा काम कोई दूजा
 संकट हरता मंगल दाता 
दीन दुखियों के भाग्य विधाता
 दूर करें विघ्न चिंता क्लेश 
आप की महिमा अमिट अशेष सकल सुमंगल मूल
 जीवन सुख शांति दो 
सदा रहो अनुकूल
   - लता विनोद नौवाल


 2- तेरे चरणों में जब शीश झुका
मेरा रोम रोम हरसाया
हे प्रभु जिसदिन इन आँखों नें 
तेरी एक झलक बस पाया
मेरा मन खोया तेरी गलियों में
तन होगया ज्यों बरसाना
प्रभु तुझे छोड़ नही जाना.......

१) हे श्याम तेरी मैं विरहन हूँ 
भटकूँ तुझ बिन मैं वन वन हूँ
आशा के बुझते दीपक को 
प्रभु अब रोशन कर जाना ।

२) मैं जनम जनम की प्यासी हूँ
शबरी जैसी तेरी दासी हूँ
मैं बन बैठी जोगन तेरी
प्रभु मुझको भी अपना लेना

३) तू तो करुणा का सागर है ।
रीता ह्रदय का गागर है ।
नैनों को दर्शन देकर के 
ह्रदय की प्यास बुझा जाना


3- Lyrics: Lata Vinod Nowal

तेरे प्रेम का रंग है न्यारा रे 
सारा जग ही लगे अब प्यारा रे 
हर ओर है अब उजियारा रे 
मोहे सुध न रही दिन रैन की 
मोहे सुध न रही दिन रैन की   

कान्हा से न रह गई कोई दूरी रे 
अधजल गगरी आज हुई है पूरी रे 
नाँचू ओढ़ चूनर सिंदूरी रे 
बुझी प्यास जो मन बेचैन की 
मोहे सुध न रही दिन रैन की 

पी की हो गई रही न अब दुखियारी रे 
पल में काट के रख दी दुविधा सारी रे 
चली ऐसे जिया पे कटारी रे 
मोहन तेरे सुन्दर नैन की 
मोहे सुध न रही दिन रैन की     

प्रीत की डोर अब तो ये टूटे नहीं 
मेरे माधो रंग तेरा छूटे नहीं 
सांस टूटे लगन मेरी छूटे नहीं 
तेरे मधु से मीठे बैन की 
मोहे सुध न रही दिन रैन की


4- डसती है ये काली रतिया, और बैरन तन्हाई 
मोहे याद पिया की आई। 
पिया से मिलन की आस में पगली ये आँखें भर आई 
 मोहे याद पिया की आई।   

१) बालों में गजरा सूख गया है, साजन (प्रीतम) मोसे रूठ गया है। 
कंगन चूड़ी खनकत नाही, अब तो आ जा प्यारे माही।।
रुत सावन की आई, मोहे याद पिया की आई 

२) तारे गिन गिन रैन बिताऊं, दिल को कैसे मैं समझाऊँ। 
नैनों से निंदिया उड़ गई है, मेरी दुनिया उजड़ गई है।।
लौट के आ हरजाई, मोहे याद पिया की आई

5- मैं हूं प्रेम दीवानी 
सखी री, मैं हूं प्रेम दीवानी!
 कोई समझे ना कोई जाने ना,
 तू भी रही अनजानी!!
 सूरत उसकी इतनी मोहनी,
 रंगत श्याम सलोनी 
बिन देखे अखियां न मानी, 
मंद मंद मुस्कानी!!
ऐसो कर दियो
 मुझ पर जादू 
हो गई मैं मस्तानी
 प्रेम रंग में लता रंग गई 
सुध बुध भी न जानी !
सखी री, मैं हूं प्रेम दीवानी 
  लता विनोद नौवाल

श्रीमती लता विनोद  नौवाल
राष्ट्रीय महासचिव इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल नई दिल्ली कवयित्री होने के साथ-साथ एक समाज सेविका भी हैं दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से हिंदी ऑनर्स की पढ़ाई की संस्कृत मे 1 साल का कोर्स किया 1980 में 16 साल की उम्र में पहली हास्य व्यंग्य की कविता क्रिकेट कविताएं पुस्तक प्रकाशित हुई जिसकी काफी सराहना हुई दूसरी किताब बोल उठा मन एवं तीसरी किताब आशनाई  जिसका विमोचन  8 मार्च को  पदम  श्री सुरेंद्र शर्मा जी ने किया, 
              उनके संपादन में चार किताबें छपी है, दो किताबें रामायण पर आधारित हैताकि आज की युवा पीढ़ी रामायण के पात्रों के बारे में जान सके  
   श्रेष्ठ कवियों के साथ मंच पर कविताएं पढ़ना, श्री विश्वनाथ सचदेवा जी, नौटियाल जी, डॉ राम मनोहर त्रिपाठी जी, नंदलाल पाठक जी, सुरेंद्र शर्मा आदि के साथ काव्य पाठ किया प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं छपती रहती हैं बोल उठा मन का कन्नड़ में भी अनुवाद हुआ। 
             इनरव्हील क्लब के अध्यक्ष पद पर  भी रही, और उनके अच्छे कार्यों के लिए उन्हें सुप्रीम स्वर्ण पदक अवार्ड मिला। 
             राष्ट्र के प्रहरी राष्ट्र सेना में समर्पित सैनिकों तथा उनके परिवार को कोटि-कोटि नमन करते हुए जो योद्धा वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं वह समय उनके परिवार के लिए अत्यंत दुखदाई होता है कठिनाई भरा होता है कर्नाटक में उनके लिए जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन से से मिलकर एक संस्था बनाई जिसमें 400 परिवार रजिस्टर किए गए जिसके तहत सैनिकों को एक हीरो का सम्मान देना  उनके परिवार को कॉलोनी में बुलाना एक एक्सपर्ट को बुलाकर उनकी जो कानूनी समस्याएं होती है उन को सुलझाने की  कोशिश होती है उनके व उनके बच्चों के रोजगार की समस्या सुलझाने की काफी प्रयास किया जाता है
     सैनिकों को हीरो की दर्जा दिलवाना मकसद है उनका जो हमारे देश के सच्चे हीरो हैं। 
     30 साल बाद वह अपने गांव गई वहा 2280 मेगा वाट का लड़कियों के स्कूल में सोलर सिस्टम दिया वहा लाइट नही रहती ताकी वह अच्छे से पढाई कर सके 
      हर आदमी को सुधरने का एक मौका मिलना चाहिए  इसके तहत लता नौवाल ने अपना जन्मदिन कैदियों के साथ मनाया  और उन्हें योगा की ट्रेनिंग भी दी गई लगातार  जिससे सकारात्मक असर उनके दिमाग पर पडे, 
   देश के सभी भाषाएं एक दूसरे के पूरक हैं   सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए, इसके लिए कन्नड़, हिंदी कवयित्री सम्मेलन किया गया, 
          सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनी T-series से  सूफी गीत एवं भजन रिलीज होते रहते हैं, उनके गीत जावेद अली एवं साधना सरगम जी ने गाए, जो बहुत फेमस हुआ तस्वीर उनकी मेरे दिल में उतर गई, एक चैनल LV sound भी है जिसमे जिसमें तीन लाख से भी ज्यादा फॉलोवर्स हैं।

कवियत्री समाज सेविका 
राष्ट्रीय महासचिव इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल नई दिल्ली 
लता विनोद नौवाल

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