नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

खुशियों का दिया----

रंगोली की बोली उत्साह उमंग है
मन भावो का रंग खास  खुशियां
प्रसंग है।।
आशा अभिलाषा की पूर्णतया 
सुख शांति बैभव का आगमन है।।
दिया जला है प्यार उजियार  का
तमस मन का मिटाना संकल्प है।।
सुख बैभव का आचार व्यवहार
दुःख क्लेश से मुक्ति का आश्वाशन
 आवाहन है।।
जीवन मे भय रोग  बाधा
ना हो, दृश्य अदृश्य शत्रु का
समापन आस्था संस्कार है।।
हताशा निराशा पल ना आवे
नित्य नियमित रिद्धि सिद्धि 
आराधना अवसर अपरिहार्य है।।
जल गए दिये जीवन संचार में
मनौती मान्यता प्राप्ति प्रमाणिकता
प्राथमिकता का अनुष्ठान है।।
बच्चों की चाहत खुशियां 
लौ दिए कि तरह, कुटुंब
परिवार की राह का प्रकाश है।।
फुलझड़ियों आतिश बाजी
द्वेष दंम्भ घृणा के अंधकार
दुनियां पे प्यार मोहब्बत
के जग मग जग मग चिराग है।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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