मधु शंखधर स्वतंत्र

🌷🌷 *सुप्रभातम्*🌷🌷
*गीत*
*विषय - दर्पण*
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दर्पण सच्चा एक मीत सा,  सत्य सदा दिखलाता है।
पर्दा होता अगर सामने , मौन तभी हो जाता है।

सोने चाँदी नहीं काँच का , बनता सुंदर दर्पण है।
यथा भाव से सत्य उजागर ,  सत्य सदा ही अर्पण है।
सर्व विदित है सहज आचरण , झाँकी सतत दिखाता है।
दर्पण सच्चा एक मीत सा....।।

जड़ा हुआ हो दर्पण चाहे , मोती मूँगा रत्नों से।
झूठ नहीं बोलेगा वह तो , मिथ्या मानव यत्नों से।
जो दिखता है वही दिखाता , यही समर्थित नाता है।
दर्पण सच्चा एक मीत सा.....।।

दर्पण जैसा सच्चा साथी, भला कहाँ तुम पाओगे।
अस्त व्यस्त को भला व्यवस्थित , कैसे तुम कहलाओगे।
सत्यनिष्ठ दर्पण जो देखे , झलक 
स्वयं की पाता है।
दर्पण सच्चा एक मीत सा.....।।

दर्पण एक सजाओ मन में, अन्तर सारे पहचानो।
सत्य बिना जीवन मिथ्या है, राज सभी जन यह जानो।
सुख सौन्दर्य सत्य परिभाषा , दर्पण मूल बसाता है।
दर्पण सच्चा एक मीत सा.....।।
*मधु शंखधर 'स्वतंत्र*
*प्रयागराज*✒️
*16.05.2021*

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