अरुणा अग्रवाल

नमन मंच,माता शारदे,गुणीजन,
शीर्षक-"आलमारी में रखें पुराने खत"
30।05।2021।


 मानव,मानवी स्रष्टा का श्रेष्ठ सृजन 
इनमें दिया है कला,मनन,कौशल,
ज्ञान,बुद्धि,विवेक,कागज,कलम,
ताकि लिख सकें मनका भावना।।


और यह सिलसिला,चलायमान,
मोबाइल से पहले खतका,परंपरा,
एक दूजे के लिऐ लिखता,सुबोध,
और खत के माध्यम से होता रूबरू।।

 नया नौ दिन ओर पुराना सौ दिन,
उसी तरह खत-पुराना है अनमोल
जब कभी फ़ूरसत,पढ़े ,सह-मन,
यादगारी लम्हा,देगा शुकून,अपार।।


चाहे वह बचपन-बन्धु,आत्मिय,
लिखा हो तन,मन,लगन से प्रिय,
जब कभी याद आऐ,पढ़े,खत,
अवश्य मिलेगा शान्ति-मुरार।।


 गहना,आभूषण तो फ़िर मिलेंगे,
पर वह खत,अतुल,गुमनाम न,
होने पाऐ,रखें विशेष-ध्यान,
आलमारी का बढ़ाता रहे मान।।


पाती को मत समझें महज,कागज
वह है बेशकीमती तोहफ़ा,मुचुकंद
सम्भालके रखो उसे आलमारी,में,
ताकि सुशोभित,मंड़ित सम,गहना।।


अरुणा अग्रवाल।
लोरमी।छःगः।🙏

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