"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
पावनमंच को प्रणाम ,आज की रचना में बढ़ रहे अपराध पर लिखने का प्रयास किया ,अवलोकन करें... नैतिक मूल्य गिरे कतनेहौ हालि कैइसे तुँहका बतियाई।। आफति याकु रही ई प्रकृति औ दूजिन जौनु है मानव जाई।। जेलौ सुरक्षितु नाहि रहीयहिका हौं कौनिनु भाँति बुझाई।। भाखत चंचल काव कही जबु रत्क्षक भक्षक रूप देखाई।।1।।। हालि कही चित्रकूट कै जेलि जहाँ पिस्टलु कै अवाजु सुनाई।। एकु नही दुई तीनु मरे मुल आजु सवालु तुहँय समुझाई।। जेलु अधीक्षक या स्टाफ रही करत काव ई कैइसु बताई।। भाखत चंचल लगी सीसी टीवी क्यों बन्द रही नहि उत्तरू आई।।2।। सिस्टमु फेलु हुआ यहू देशु कि नैतिकता जो रसातलु जाई।। मारे गये जनौ ठीकु कहाँ अपराधी मवाली बवाली कहाई।।। मुल या करतारू ना आवै समुझ का यहू कलिकालु कै चालु कहाई।। भाखत चंचल ना आवै समुझ ई मानव कहाँ कबु वासु सुहाई।।3।। घर परिवारू ना पास परोसु नही जौ सुरक्षितु जेलौ बताई।। बीबी औ बच्चे कहाँ ही सुरक्षितु पढ़न्यौ गये जबु आफतु आई।। हे करतारू भवा है ई काव लागै मच्छर माखी ई जनु समुदाई।। भाखत चंचल काव कही असु होतु वही विधिना जो रचाई।।4।। काँपतु आजु शरीरू करेजू औ लागतु तीसरु युद्ध समाई।। मुस्लिम और यहूदी भिडे अस लागत मुस्लिम अंत देखाई।। फसिलु उगाई औ काज जौनु किहे काटन वारू गयौ नचुकाई।। भाखत चंचल कैइसु दशा ई पुरूषनु अऊर प्रकृत्ति देखाई।।5।। आवतु बातु सुनी जेसु पाक तौ बाति वही कै ना समझै मा आई।। इजराइल देशु खडा़ भुजदण्डनु जग मुस्लिम देशु सत्तावनु भाई।।। मिलिके लडै़ सबु देशु मुला वहिकय ना तबौ केऊ पीठि लगाई।। भाखत चंचल पाक बकै बसु मिनिटु मा बारहु देऊँ उडा़ई।।6।। हंस औ बाज कपोत उडे़ मुल आजु गँड़ूलरि धाकु जमाई।। दाना ना पानी घरै मा अँटै मुल जंगु को जीतन खेतनु जाई।। थाम्हि कटोरा घूमै यहु देशनु भीखु ना देनु का कोऊ देखाई।।। भाखत चंचल आवै हँसी वहू इजराइल धौंसु जमाई।।6.।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल।ओमनगर, सुलतानपुर, उलरा,चन्दौकी, अमेठी,उ.प्र.।।मोबाइल..।8853521398,9125519009।।
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