सुनीता असीम

दूरियां कितनी सही उनसे मुहब्बत है तो है।
दिल के मेरे जो  खुदा उनकी इबादत है तो है।
****
देखना तिरछी नज़र से फेर लेना फिर नज़र।
 श्याम की तिरछी निगाहों में शरारत है तो है।
****
लब पे है इनकार पर इकरार  नज़रों में रहे।
दिल में उठती आज अपने इक बगावत है तो है।
****
बस मनाना रूठना ही प्यार का किस्सा रहा।
फिर भी हमको प्यार उनसे ही निहायत है तो है।
****
रीत दुनिया की निभानी दिल न लेकिन साथ दे।
प्यार में तेरे मरूं दिल की इजाजत है तो है।
****
सुनीता असीम
१८/५/२०२१

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...