एस के कपूर श्री हंस - काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार

काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार

कवि- परिचय
(साहित्यिक/समाजिक/सेवाकाल)
*1* नाम:एस के कपूर"श्री हंस"
*2*. पिता का नाम :स्व0 बृज लाल कपूर जी
*3* माता का नाम :स्व0 सावित्री देवी कपूर जी
*4*.पति का नाम (विवाहिता हेतु):,,,,,,
*5* जन्म तिथि:07 जून 1950
*6* जन्म स्थान: नई दिल्ली
7.वर्तमान स्थायी पता: 06,पुष्कर एनक्लेव,टेलीफोन टॉवर के सामने
स्टेडियम रोड,बरेली ,उत्तर प्रदेश पिन
243005
*8*. शिक्षा : एम एस सी (रसायन शास्त्र)
सी ए आई आई बी (भाग 1)
*9* लेखन की विधाएँ: गद्य(आलेख,निबंध, संस्मरण, समाचार पत्र सूचना आदि)
पद्य(मुक्तक, मुक्तक माला,हाइकु,छंद मुक्त(तुंकान्त व अतुकांत), कुंडलियां,मनहरण छंद(8 8 8 7) आदि) ग़ज़ल अभी लगभग 100 (विशेष। लगभग 10000 मुक्तकों की रचना अब तक)
*10*. कृतित्व:
*(क)* प्रकाशित ग्रंथ ई पत्रिका (हारेगा कॅरोना) लोकार्पण दिनाँक 20।06।2020
*(ख)* अप्रकाशित ग्रंथ ई पत्रिका( व्यक्तित्व विकास पर केंद्रित)
*(ग)* संपादन सलेक्टेड न्यूज़ समाचार पत्र,बरेली(मई 2014 से मई 2016)
पीलीभीत मिड टाउन जेसीज व अवध जेसीज की स्मारिकाओं का संपादन।
*(घ)* पत्र पत्रिका में प्रकाशन,,,,आई नेक्स्ट(144 लेख प्रकाशित) ,कलीग,हम दोस्त।संवाद।सेकंड इनिंग्स, परफेक्ट जरनीलिस्ट,हेल्थ वाणी,गीत प्रिया, प्रेरणा अंशु,रोहिलखण्ड किरण।काव्या मृत।काव्य स्पंदन।
काव्य रंगोली।काव्य धारा।स्वर्ण धारा।
इंकलाब व अनेकानेक विश्व जन चेतना ट्रस्ट ,साहित्य संगम संस्थान दिल्ली व अन्य ई पत्रिकाओं में रचनायों व लेखों का प्रकाशन।
विभिन्न संस्थाओं के ब्लॉग।।पोर्टल।।वेबसाइट।।यू ट्यूब।।टी वी चैनल।। गूगल पेज।। आदि पर रचनाओं।।लेखों का प्रकाशन व वीडियो अपलोडिंग।
*11* सम्मान ,पुरस्कार व अलंकरण।
लगभग 600 से अधिक , भौतिक व डिजिटल प्रमाण पत्र प्राप्त।पुरुस्कार।ट्रॉफी।मैडल विभिन्न साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त।
*12*. अन्य उपलब्धियां: 
दूरदर्शन, आकाशवाणी, बरेली, रामपुर से प्रसारण।
ऑन लाइन कवि मंचों का संचालन आदि। बरेली में अनेक कवि गोष्ठीयों का संचालन।
उत्तर प्रदेश बुक ऑफ रिकॉर्डस में नाम दर्ज।ट्रॉफी प्रमाण पत्र प्राप्त।
संस्थापक अध्यक्ष।पीलीभीत मिड टाऊन जेसीस।वर्ष1986।
1988 वर्ष। उत्तर प्रदेश राज्य जेसीस उपाध्यक्ष।
1990। उ प राज्य जेसीस प्रशिक्षक।
संस्थापक अध्यक्ष
सेवा निर्वत एस बी आई अधिकारी सामाजिक क्लब।बरेली।2016 से 2018(वर्तमान में सरंक्षक पद पर आसीन)
जिलाध्यक्ष।भारतीय हिंदी सेवा पंचायत।बरेली।2020 से 2023।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष।संस्कार भारती।बरेली
उपाध्यक्ष।सक्षम संस्था।बरेली
संयुक्त सचिव।मानव सेवा क्लब। बरेली
पूर्व सचिव।वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति।बरेली
कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं में पदाधिकारी।
21 अगस्त 2020 को बरेली वरिष्ठ नागरिक सामाजिक क्लब।बरेली की स्थापना।
03 सितंबर को विश्व जन चेतना ट्रस्ट
भारत के जय जय हिंदी बरेली मंडल
प्रखंड की स्थापना तथा बरेली जिले व
मंडल के अध्यक्ष के रूप में मनोनयन।
लगभग 24 व्हाट्सएप ग्रुप के समूह नियंत्रक।
जिला विज्ञान क्लब बरेली के नियमित 
निर्णायक मंडल के सदस्य।
2019 में अन्य बैंक सामाजिक क्लब की स्थापना बरेली में सहयोग प्रदत।
सेवा काल में राजभाषा प्रतियोगिता में
30 से अधिक पुरुस्कार प्राप्त।
*12(अ)* विशेष अभिरुचि। बचे हुए अथवा बेकार सामान से विभिन्न प्रकार के हैंडिक्राफ्ट बनाना।
क्विज़। सभी प्रकार की क्विज स्वयं बनाना व
क्विज का संचालन/आयोजन करना।
*13*. संप्रति: सेवा निर्वत प्रबंधक।भारतीय स्टेट बैंक।बरेली।वर्ष 2010..........
चीफ आफ इंटरव्यू बोर्ड। महेंद्रा बैंक कोचिंग।बरेली।वर्ष 2011 से 2017 तक।
*14*. मोबाइल संख्या: 9897071046
8218685464
*15* . व्हाट्सप्प संख्या : 9897071046
*16*. ई मेल : kapoorsk32@gmail.com
Skkapoor5067@ gmail.com

।।हर दिन इक़ नया संग्राम
है जिन्दगी।।
।।विधा।।मुक्तक।।
1
बस सुखों का  ही आराम
नहीं है जिंदगी।
दुःखों का ना नामोनिशान
नहीं है जिंदगी।।
संघर्षों का   दाम वसूलती
भी ये जिंदगी है।
गमों पर     लगा    विराम
नहीं है जिंदगी।।
2
ऐशो आराम का तामझाम
नहीं है  जिंदगी।
खाली खुशियों का पैगाम
नहीं है जिंदगी।।
कभी   खुशी   कभी  गम
का ही नाम यह।
कोशिशों का   ही  मुकाम
है यह   जिंदगी।।
3
हर सुख का    मिला जाम
नहीं है जिंदगी।
बस    यूँ    ही      गुमनाम 
नहीं है जिंदगी।।
संघर्ष की   आग   पर  तप
कर बनता है सोना।
बसअपने स्वार्थ से ही काम
नहीं है जिंदगी।।
4
सुख दुःख का छाया   घाम
है यह    जिंदगी।
हर दिन इक़   नया   संग्राम
है यह   जिंदगी।।
अपने लिए   नहीं   दूजों के
लिये भी जीना यहाँ।
सरोकारों का     चारों  धाम
है  यह   जिंदगी।।

रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"
बरेली।।।।
मोब।।।।।      9897071046
                    8218685464

।।हमारे बुजुर्ग।।दुआओं की
सौगात है, बुजुर्गों के पास।।
।।विधा।।मुक्तक।।
1
क्षमा दुआ अनुभव और  आस,
है बुजुर्गों    के  पास।
बहुत ही  जिम्मेदारी  अहसास,
है बुजुर्गों   के  पास।।
छोटे बड़ों का ध्यान   और करें, 
घर की रखवाली  भी।
संस्कृति,  संस्कारों  का वास है,
बुजुर्गों        के  पास।।
2
बहुत  दुनिया    देखी   बड़ों  ने,
उनसे  ज्ञान    लीजिये।
उन्होंने  किया    लालन  पालन,
उन पर   ध्यान  दीजिए।।
उनके मान सम्मानआशीर्वाद से,   
संवरताआपका भी भाग्य।
आ जाता  कुछ  चाल   में  अंतर, 
नही   अपमान   कीजिये।।
3
हर किसी  के लिए खूब जज़्बात,
हैं   बुजुर्गों    के  पास।
अनुभवों की   इक लंबी    बारात, 
हैं बुजुर्गों     के   पास।।
दिल है   दिमाग है     हर  बात है,
पास    बुजुर्गों      के।
दुआओं ही दुआओं की   सौगात,
है    बुजुर्गों  के   पास।।
4
पैसे की   तो      बहुत    कदर  है,  
बुजुर्गों     के    पास।
बहुत ही ज्यादा   पारखी नज़र है,
बुजुर्गों    के     पास।।
रखते  तजुर्बा हर मौसम  बरसात,
का    बुजुर्ग     हमारे।
एक पूरी   जिन्दगी  का   सफर है,
बुजुर्गों    के     पास।।

रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"
बरेली।।
मोब।।            9897071046
                     8218685464


*।।समाज,राष्ट्र का सजग*
*सतर्क प्रहरी,पत्रकार।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
कभी मीठा तो कभी
चीत्कार लिखता है।
कभी विपक्ष  कभी
सरकार लिखता है।।
कलम का  सिपाही
रुकता नहीं   कभी।
हर बात   वह    तो
बार बार लिखता है।।
2
कभी आरपार कभी
कारोबार लिखता है।
कभी विसंगति और 
प्रचार लिखता    है।।
समाज राष्ट्र  के  हर
बिंदु को छूती कलम।
हर विषय की    वह
भरमार   लिखता है।।
3
कभी ओज तो कभी
श्रृंगार     लिखता है।
कभी खिजा   कभी
बहार     लिखता है।।
खुशी गम के     हर
पहलू को  छूता  वो।
कभी जीत तो कभी
हार    लिखता     है।।
4
कभी व्यंग तो कभी
सरोकार लिखता है।
कभी शांति    कभी
अंगार लिखता   है।।
छू जाती है  कलम
दिल को       कभी।
जब भावनाओं का
संसार  लिखता  है।।
5
सब पढ़ते हैं कि वो
जोरदार लिखता है।
कभी दबके या बन
सरदार लिखता  है।।
हर हालात  को  वो
लिखता समझ कर।
सब कोई और नहीं
पत्रकार लिखता है।।
*रचयिता।। एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।         9897071046
                    8218685464


4- *।।ग़ज़ल।। संख्या  107 ।।*
*।।काफ़िया।। मक/नक।।*
*।।रदीफ़।। दवा बन जाये।।*
1
ऐसा हो  जख्म की नमक दवा बन जाये।
ऐसा हो आँखों की चमक दवा बन जाये।।
2
जख्म दिल के भर जायें बस मीठे बोल से।
बस दर्द की धमक ही कोई दवा बन जाये।।
3
बात पीछे छूट जाये   दिमागी तनाव की।
जिन्दगी की जनून ए रमक दवा बन जाये।।
4
सोच बनेआदमी के दिल की इतनी अच्छी।
चेहरे का तेजओ दमक ही दवा बन जाये।।
5
हंस कुछ ऐसा हो कि बेमेल भी मेल ही लगे।
हार जीत की  सनक भी दवा बन जाये।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।   9897071046
                 8218685464


5- ।।रचना शीर्षक।।*
*।। पहले बिखर कर ही आदमी*
*फिर निखर कर आता है।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
आशा का   दीप  सदा
जलाये रखना।
प्रभु में     आस्था सदा
बनाये रखना।।
कभी   मंद      ना पड़े
उम्मीद की लौ।
काम में    लगन   सदा
लगाये रखना।।
2
कभी      संवेदना   का
साथ   छूटे ना।
विश्वास का      कदापि
हाथ    छूटे ना।।
अधीरता        हो    पर
जमीर जिंदा रहे।
तरकश  से     अनुचित
वाण छूटे ना।।
3
नैतिकता   की   लकीर
मिटने ना पाये।
दिल से दूसरों   की पीर
मिटने ना पाये।।
संघर्ष रहे  और    शक्ति
रहे  लड़ने  की।
दुखों में  भी     कर्मवीर
मिटने ना  पाये।।
4
कठिन परिश्रम    ही  तो
आत्मबल लाता है।
तपिश में तपकर  व्यक्ति
सोना बन पाता है।।
उत्साह उमंग   जीवन में
मंद ना हो     कभी।
बिखर कर  ही    आदमी
निखर कर आता है।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।।    9897071046
                    8218685464

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