परशुराम जयंती
14.5.2021
रेणुका जमदग्नि पुत्र बन
विष्णु ने लिया अवतार
दिन अक्षय तृतीया
पाया परशुराम नाम ।
शिव भक्त ज्ञानी,ध्यानी
आप प्रचंड क्रोधी
सब विधा के ग्याता आप
आप धनुष, फरसा धारी
शिव की अखंड भक्ति कर
पाया शिव धनुष
घूमें वन वन की तपस्या घोर।
आप सा नहीं कोई
पिता का आज्ञाकारी
पितु आज्ञा पा
मातु शिश आप उतारी
माँ का जीवन
पाया फिर उनसे ही वरदान ।
शिव धनुष तोड़ा राम ने
तब रौद्र रूप दिखाया
लक्ष्मण ने जब आप को सताया
आपने क्रोधित स्वरूप दिखाया,
राम रूप विष्णु पहचान लिए
जब क्षमा में राम ने कर जोड़ दिए।
परशुराम रूप में
फिर एक बार आओ
कलयुग में सताए मानव को
कोई राह अब दिखाओ
की जो गलतियां हमने प्रभु
करो क्षमा,लाचारी मिटाओ ।
मौन मन के भाव मेरे
अंतर्नाद सुनो प्रभु मेरे
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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