"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
पावनमंच को सांध्यकालीन प्रणाम ,आज की ऐतिहासिक रचना का अवलोकन करें.... धन्य कहूँ हौं जसोदा दमोदरु धन्य कहूँ यही हिन्द कै माटी।। धन्य बखानौं सरदार पटेल औ धन्य कहौ हियाँ कै परिपाटी।। देशू अजाद मा आये नरेन्द्र औ वयसेनु आये नेतन्याहू सुभाटी।। भाखत चंचल गयौ सालु सत्तर शतकनु आठु कै जोरि सपाटी।।1।।। देखनु लागै छोटु मुलुक मुल वा व्योहारू बखानी ना जाती।।। स्वागतु भव्य भवा जेसु वहि छिनु हालि ना देखी विरोधिनु जाती।।। नेहु मिलैं ससनेहु मिलैं अरू अइसेहु मेलु लिखी नहि जाती।।। भाखत चंचल ताहि दशा यहू मेलू उभौ कै बखानि ना जाती।।2।।। कुटुम्बु परम्परा हिन्द रही अरू याही खरी हिन्दुस्तान कै माटी।। दोस्ती करैं निबहँय सबु भाँति औ भरि भरि अंकु लगावतु बाटी।। जेहि बातु जुबानु उचारि धरैं पग खैंचतु नाहि भले नसि पाटी।। भाखत चंचल नेता कहैं औ लखै ह्वै प्रसन्न शहीदु सुभाटी।।3।। फूली ना समानु ई हिन्द धरा वतनी मुरुझानी परोसिनु माटी।। इक्कीस हजारु रहे दुई कै उन्नीसु लिखी ऐतिहासिक पाटी।। यहू हिन्द कै पूत दहाडि़ रहा जेस ठाढं खुँखारू ई शेरू सुहाटी।। भाखत चंचल पूत सपूत जना वहि मातु जसोदा जू माटी।।4।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल।ओमनगर, सुलतानपुर, उलरा,चन्दौकी, अमेठी ,उ.प्र.।मोबाइल...8853521398,9125519009।।। जय हिन्द ,जय भारत ,जय जय जय धनवन्तरि, वन्दे मातरम् ,गाँव देहात की खबरशहर पर भी नजर ,द ग्राम टुडे ,दैनिक व साप्ताहिक ,यू ट्यूव चैनल भी ,एल आई सी आफ इण्डिया. डी बी एस. प्रा. लि. कोलकाता।। भारत।। प्रोडक्ट प्रचारक. व सेल्स इक्जीक्यूटिव ।।
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