एस के कपूर श्री हंस

।।ग़ज़ल।।संख्या 104।।*
*।।काफ़िया।। आत।।*
*।।रदीफ़।। साथ साथ रहिये।।*
1
हर इक़ बात में साथ  साथ    रहिये।
हर जज्बात में साथ   साथ    रहिये।।
2
वक़्त   बदल   रहा    बहुत  तेजी से।
बदले हालात में    साथ साथ  रहिये।।
3
मिल कर जीने   की   बात   ही  और है।
खुशियों की सौगात में साथ साथ  रहिये।।
4
बढ़ रही है भीड़ हर   चौक  चौराहे पर।
हो सके तो बारात में साथ साथ रहिये।।
5
जब बात आ ही जाये साबित करने की।
दिखाने कोऔकात ज़रा साथ साथ रहिये।।
6
मौसम सब हो गये हैं समझ से परे ही।
हो आँधी बरसात  साथ  साथ   रहिये।।
7
हो जाती बातचीत पर न हो दिल से दूर।
न मिलें ख्यालात पर साथ साथ रहिये।।
8
अनबन भी   महोब्बत की निशानी है।
बस करके मुलाकात साथ साथ रहिये।।
9
मिलकर काम रहना खुद इक़ ताक़त है।
हो अंधेरी रात बस  साथ   साथ रहिये।।
10
*हंस* पूरी दुनिया के लिए बस एक पैग़ाम ।
मिलकर सब हज़रात साथ साथ रहिये।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।      9897071046
                    8218685464


 शीर्षक।। हर जन मानस*
*ना हो सुरक्षित, वो सुखी संसार नहीं* *होता।।विधा ।।मुक्तक।।*
*रचयिता।।एस के कपूर श्री हंस।।*
*1..* 
बिन मेहनत के    दौलत का 
कोई हकदार नहीं होता।
लेकर न चले साथ   सब को
वो सरदार  नहीं  होता।।
बिना काबलियत   के   ताज
न मिले     किसी   को।
जो निकल पड़े    मांगने  को
वो खुद्दार   नहीं होता।।
*2....* 
जो टिक न पाये   वायदे   पर
वो असरदार   नहीं है।
जो काम न आये    किसी  के
वो रसूखदार नहीं है।।
जो न बिके   वही    होती   है
सच्ची      ईमानदारी।
बगिया न हो  गुलज़ार    कोई
वो बसंत बहार नहीं है।।
*3....*
 जो न रख पाये काबू जुबां  पे
वो समझदार नहीं है।
सामने से न दो चुनौती  तो वो
ललकार   नहीं   है।।
तन अच्छा मन अच्छा हो वही
है       ठीक    सुधार।
जब न मिले कीमत  पसीने की
तो वो रोजगार नहीं है।।
*4....* 
हर मुद्दे पर  करनी   नुक्ताचीनी
बात शानदार नहीं है।
जो देश के लिए  न   सोचे  वह
तो वफ़ादार   नहीं है।।
माता पिता के उपकार को कोई
उतार   नहीं   सकता।
माँ बाप के लिए  सेवा तो  कोई
उपहार     नहीं    है।।
*5.....*
पेट भरा हो  जिसका खूब   वह 
तो जरूरतदार  नहीं है।
बेवजह जो उड़ाये  मजाक   वो
आदमी मजेदार नहीं है।।
जिसने किया था  काम को वही
है   सही        दावेदार।
जिसे पहचान नहीं     खरे  सोने
की वो सुनार    नहीं है।।
*6....* 
सब्र बहुत जरूरी  हर  बात तुरंत
पलट वार  नहीं होता।
दर्द किसी का न समझ  पायें जब
वो सरोकार नहीं होता।।
संवेदनाएं बहुत  जरूरी मानवता 
के    उद्धार   के  लिए।
हर जन मानस न हो सुरक्षित  वो
सुखी संसार नहीं होता।।
*रचयिता।।एस के कपूर"श्री हंस",बरेली।।*
9897071046/8218685464


*।।  प्रातःकाल   वंदन।।*
🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂
खुशियाँ हमेशा झाँके
आपके.   द्वार।
जीवन में सदा  बरसे
प्यार ही प्यार।।
सुखों से  झोली आप
की    भरी रहे।
*आज सुबह सबेरे का*
*आपको नमस्कार।।*
👌👌👌👌👌👌👌👌
*शुभ प्रभात।।।।।।।।।।।।।।।।।*
*।।।।।।।।।।।।।।  एस के कपूर*
👍👍👍👍👍👍👍👍
*दिनाँक. 26.   05.   2021*

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