मधु शंखधर स्वतंत्र

*सुप्रभातम्*🙏🙏
*मधु के मधुमय मुक्तक*
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🌹🌹 *तूफान*🌹🌹
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◆ कैसा ये तूफान है , शक्ति कर रहा ह्वास।
कभी ताउ ते आ रहा, और कभी है यास।
मानव जीवन त्रस्त है , आया विकट प्रकोप,
सन् इक्कीस करा रहा, सत्य प्रकृति अहसास।।

◆ तूफानों का दौर है, साहस रखना पास।
कोरोना से जीत कर , अभी हराओ यास।
संकट में जो डर गया, पाए कैसे जीत,
शक्ति निहित हो कर्म तो, सफल बने वह खास।।

◆ प्रकृति सदा संयम सहित, करती नव शुभ काज।
भूल उसी के मर्म को, दोहन किया समाज।
आज प्रकृति यह रुष्ट है, आयी बन तूफान,
प्रकृति रूप विकराल भी, चेतो मानव आज।।

◆ तूफानों में ढह गए , कितनों के अरमान।
ईश आपदा रूप यह, होता कहाँ निदान।
सीख धरो मानव सभी, प्रकृति बचाओ आप,
प्रकृति सुरक्षा से सदा, मधु जीवन गतिमान।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*
*28.05.2021*

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