-तोड़ दे
तोड़ दे उन जंजीरो को जो,
तुझे रोकने की चाह में है।
तोड़ दे उन बंदीशों की जो,
अड़चन हौंसलो की उडा़न में है।।
तोड़ दे
उन निराधार सुर्खियों को जो,
तेरी ऊँचाईयों की गुनहगार में है।
तोड़ दे आड़म्बर विकराल को जो,
राष्ट्रप्रेम ओझल की टकरार में है।।
तोड़ दे
उन झुठी सीमाओ, गरिमाओं को जो,
तुझे तोड़ने की आड़ में है।।
जोड़ना है तो जोड़ उसी को ,
जो तेरी आन - बान - शान में है।
तोड़ दे
हर फिजाओ, नग्मों को जो,
तुझे बैबस करने की तान में है।
और तूँ बनाले जान उसी को,,
जो तिरंगा हम सबकी पहचान में है।।
-V.P.A.निकिता चारण
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स्वरचित-V.P.A.निकिता चारण ।
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परिचय
नाम - V.P.A.निकिता चारण
गांव - कोडुका ,बाड़मेर (राज.)
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