कलमकार (दोहे)मात्र समीक्षार्थ
कलमकार जो श्रेष्ठ है,दे विचार को धार।
प्रीति-रीति की सीख दे,खोले उन्नति-द्वार।।
देश-काल सँग पात्र के,कर लेखन अनुरूप।
नूतन ज्ञान-प्रकाश का, बारे दीप अनूप।।
अक्षर-अक्षर जोड़ कर,रच देता इतिहास।
अमर कोष इस ज्ञान का,होता कभी न ह्रास।।
मानव की जो सभ्यता,कला निहित जो ज्ञान।
कलमकार की लेखनी,दे सबको पहचान।।
जीवन के हर पक्ष का,चित्रण करे सटीक।
कलमकार की लेखनी,होती ज्ञान-प्रतीक।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र।
9919446372
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