डॉ0 हरि नाथ मिश्र

कलमकार (दोहे)मात्र समीक्षार्थ

कलमकार जो श्रेष्ठ है,दे विचार को धार।
प्रीति-रीति की सीख दे,खोले उन्नति-द्वार।।

देश-काल सँग पात्र के,कर लेखन अनुरूप।
नूतन ज्ञान-प्रकाश का, बारे  दीप  अनूप।।

अक्षर-अक्षर जोड़ कर,रच देता इतिहास।
अमर कोष इस ज्ञान का,होता कभी न ह्रास।।

मानव की जो सभ्यता,कला निहित जो ज्ञान।
कलमकार की लेखनी,दे  सबको  पहचान।।

जीवन के हर पक्ष का,चित्रण करे सटीक।
कलमकार की लेखनी,होती ज्ञान-प्रतीक।।
          ©डॉ0हरि नाथ मिश्र।
              9919446372

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511