डॉ0 हरि नाथ मिश्र

दोहे
बनें बर्फ से ग्लेशियर,करें सरित-निर्माण।
सरिता जल का दान कर,करे विश्व-कल्याण।।

सड़क प्रगति का स्रोत है,जिससे हो उत्थान।
करे सुलभ आवागमन,विकसित राष्ट्र-निशान।।

ढोलक और मृदंग से,बने मधुर संगीत।
गीत और संगीत सुन,हर्षित हो मन मीत।।

सैनिक रक्षक देश के,हो जाते कुर्बान।
प्राणों की बाजी लगा,रौंदें अरि का मान।।

होती है स्वादिष्ट अति,सब्ज़ी मटर-पनीर।
इसका ही मिष्ठान तो,हरे सकल भव-पीर।।
          ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
              9919446372

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