गीत(16/16)
चहुँ-दिशि मची है चीख-पुकार,
पड़ा है संकट में संसार।।
सबके तन-मन गए हैं काँप,
संकट विकट को कर के भाँप।
लगे अब कैसे बेड़ा पार-
पड़ा है संकट में संसार।।
सयंमित रहना अब तो मीत,
नहीं तो होगा बेरस गीत।
करो दूर से अब नमस्कार-
पड़ा है संकट में संसार।।
खान-पान में रहे शुद्धता,
मेल-जोल आपसी एकता।
रखना सभी यह सोच-विचार-
पड़ा है संकट में संसार।।
पर्यावरण शुद्ध अब रखना,
साफ-सफाई करते रहना।
मात्र यही है अब उपचार-
पड़ा है संकट में संसार।।
दुखिया जग की पीर हरो प्रभु,
रोग सभी गंभीर हरो प्रभु।
खोलो कृपा का कोषागार।।
पड़ा है संकट में संसार।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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