*बरगद*(दोहे)
पूजनीय वट-वृक्ष है,शीतल इसकी छाँव।
शुद्ध वायु का स्रोत यह,परम रुचिर खग-ठाँव।।
सदियों तक सेवा करे,बूढ़ा बरगद पेड़।
औषधीय यह वृक्ष है,इसको कभी न छेड़।।
देव तुल्य वट-वृक्ष का,रखना है अब ध्यान।
नया वृक्ष रोपण करें, तब होगा सम्मान।।
जागरूक अब हो सभी,रोकें वृक्ष-कटान।
जीवन में वट-वृक्ष का,है अद्भुत अवदान।।
आओ मिलकर सब करें,बरगद-रोपण-काम।
पीपल-बरगद-नीम से,बने धरा सुख-धाम।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446373
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें