डॉ0 हरि नाथ मिश्र

कुण्डलियां

पूजा जग वट वृक्ष की,है वैज्ञानिक सोच,
सावित्री वट वृक्ष को,पूजा निःसंकोच।
पूजा निःसंकोच,मिला पति उसको वापस,
पिघले श्री यमराज,देख सावित्री तापस।
कहें मिसिर हरिनाथ,जगत में और न दूजा-
 बरगद तरु-व्रत सदृश,जो सावित्री-वट-पूजा।।

            ©डॉ0 हरि नाथ मिश्र
                 9919446372

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