बाल-कविता
गुल गुलाब का अतिशय सुंदर,
काँटों में खिलता है।
रामू चाचा का कहना है-
दुख में सुख पलता है।।
श्यामू भैया तुम भी सुन लो,
सचमुच बात यही है।
पहले कसरत कर लो कस के-
तब मधु फल मिलता है।।
कहें गाँव के पंडित जी भी,
प्यारे बच्चों सुन लो।
जो कक्षा में मेहनत करता-
अफ़सर वह बनता है।।
खेल-कूद भी बहुत जरूरी,
गीत-नृत्य भी सीखो।
तन-मन को ये रखें मुदित नित-
पाठ रुचिर लगता है।
छोटू-चुन्नू-मुन्नू तुम सब,
ज्ञान बात की मानो।
पहले रात अँधेरी रहती-
तब सूरज उगता है।।
गुल गुलाब का कितना सुंदर,
काँटों में खिलता है।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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